गुरुवार, 9 जनवरी 2014

मेरा भारत, मैं भारत का (Not India)

मेरा भारत, मैं भारत का (Not India)
यह सम्बन्ध बनता है, देश व समाज की जड़ों से जुड़कर।
क्या आप भी स्वयं को देश की जड़ों से जुड़ा पाते हैं ? तो आपका यहाँ स्वागत है !
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(भारत व इंडिया में अंतर क्या है, जाने ?)
वो जो कभी ज्ञान विज्ञान से विश्व गुरु और सोने की चिड़िया था। 
प्रकृति से जिसका समन्वय ब्रह्माण्ड जिसे नतमस्तक था॥
मेरे पुरखों की भूमि है इसकी माटी में खेला
इसकी संस्कृति गुण दोष सभी हैं अपने
जुड़े हुए हैं इस धरती से मेरे जीवन के सपने
कोई चोट इसे पहुंचे तो टीस ह्रदय में होती है
सरकार ही देश को लूट रही; इण्डिया की जनता सोती है ॥1॥
भारत माता के बेटों ने जिसपर जीवन वार दिया
आज उसी धरती पर उनको जिहादियों ने मार दिया
न मानवता वादी ही बोले न ही सरकार बचाने आई
क़ानूनी अधिकार मिला है कि गौ हत्या करें कसाई
ये भारत कैसे हो सकता है; इसी को इण्डिया कहते भाई ॥2॥
जिहाद को आतंक बताने पर खून का रंग समान करें
फिर किस कारण आतंक का लाकर भगवा रंग धरें
कितने आन्दोलन कुचले जाते हिन्दू चुपचाप है मारे जाते
गुजरात में आतंकी भी मरे तो मानवतावादी सब जग जाते
हाय तोबाँ चहुँ ओर मची है तथा सारे इण्डियन कर रहे दुहाई ॥3॥
भारत नहीं ये इंडिया है मेरा भारत कहीं खो गया
वसुधैव कुटुम्बकम से वंचित जगत ये सारा हो गया
मानव हित अब पाखंड हुआ सत्यमेव भी खंड खंड हुआ
पर्यावरण प्रकृति को लूटते ये विश्व सभी बाज़ार हुआ
सारे ब्रह्माण्ड की रक्षा करने 'वो भारत' ढूँढ की करो दुहाई ॥4॥
-तिलक राज रेलन YDMS
इतिहास को सही दृष्टी से परखें। गौरव जगाएं, भूलें सुधारें।
आइये, आप ओर हम मिलकर इस दिशा में आगे बढेंगे, देश बड़ेगा । तिलक YDMS

सोमवार, 6 जनवरी 2014

लाल बहादुर शास्त्री (जीवन आदर्श, प्रतिभा)

लाल बहादुर शास्त्री (जीवन आदर्श, प्रतिभा) 

लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म शारदा श्रीवास्तव प्रसाद, स्कूल अध्यापक व रामदुलारी  देवी. के घर मुगलसराय(अंग्रेजी शासन के एकीकृत प्रान्त), में हुआ जो बाद में इलाहाबाद के राजस्व विभाग में बाबू हो गए ! बालक जब 3 माह का था, गंगा के घाट पर माँ की गोद से फिसल कर चरवाहे की टोकरी (cowherder's basket) में जा गिरा! चरवाहे, के कोई संतान नहीं थी, उसने बालक को इश्वर का उपहार मान, घर ले गया ! लाल बहादुर के माता पिता ने पुलिस में बालक के खोने की सूचना लिखाई तो पुलिस ने बालक को खोज निकाला और माता पिता को सौंप दिया।
बालक डेढ़ वर्ष का था, जब पिता का साया उठने पर माता उसे व उसकी 2 बहनों के साथ लेकर मायके चली गई तथा वहीँ रहने लगी. लाल बहादुर 10 वर्ष की आयु तक अपने नाना हजारी लाल के घर रहे! तथा मुगलसराय के रेलवे स्कुल में कक्षा IV शिक्षा ली, वहां उच्च विद्यालय न होने के कारण बालक को वाराणसी भेजा गया जहाँ वह अपने मामा के साथ रहे, तथा आगे की शिक्षा हरीशचन्द्र हाई स्कूल से प्राप्त की ! बनारस रहते एक बार लाल बहादुर अपने मित्रों के साथ गंगा के दूसरे तट मेला देखने गए! वापसी में नाव के लिए पैसे नहीं थे! किसी मित्र से उधार न मांग कर, बालक लाल बहादुर नदी में कूदते हुए उसे तैरकर पार कर गए। 
बाल्यकाल में, लाल बहादुर को पुस्तकें पढ़ना भाता था, विशेषकर गुरु नानक के छंद।  उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्रवादी, समाज सुधारक एवं स्वतंत्रता सेनानी श्रद्धेय बाल गंगाधर तिलक. वाराणसी 1915 में महात्मा  गाँधी का भाषण सुनने के पश्चात् लाल बहादुर ने अपना जीवन देश सेवा को समर्पित कर दिया!  महात्मा  गाँधी के असहयोग आन्दोलन 1921 में लाल बहादुर ने निषेधाज्ञा का उलंघन करते प्रदर्शनों में भाग लिया ! जिस पर उन्हें बंदी बनाया गया, किन्तु अवयस्क होने के कारण छूट गए ! फिर वे काशी विद्यापीठ  वाराणसी में भर्ती हुए! वहां के 4 वर्षों में वे डा. भगवान दास के, दर्शन पर व्याख्यान से अत्यधिक प्रभावित हुए! तथा राष्ट्रवादी में भर्ती हो गए ! काशी विद्यापीठ से 1926, शिक्षा पूरी करने पर उन्हें शास्त्री की उपाधि से विभूषित किया गया, जो विद्या पीठ की सनातक की उपाधि है, जो उनके नाम का अंश बन गया ! वे 'सर्वेन्ट्स ऑफ़ द पीपल सोसाईटी' के आजीवन सदस्य बन कर, मुजफ्फरपुर में हरिजनॉं के उत्थान में कार्य करना आरंभ कर दिया, बाद में संस्था के अध्यक्ष भी बने
1927 में, जब शास्त्री जी का शुभ विवाह मिर्ज़ापुर की ललिता देवी से संपन्न हुआ तो भारी भरकम दहेज़ का चलन था किन्तु शास्त्रीजी ने केवल एक चरखा व एक खादी  का कुछ गज का टुकड़ा  ही दहेज़ स्वीकार किया ! 1930 में, महात्मा  गाँधी के नमक सत्याग्रह के समय वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े, तथा ढाई वर्ष का कारावास हुआ एकबार, जब वे बंदीगृह में थे, उनकी एक बेटी गंभीर रूप से बीमार हुई, तो उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में भाग न लेने की शर्त पर 15 दिवस की सशर्त छुट्टी दी गयी ! परन्तु उनके घर पहुँचने से पूर्व ही बेटी का निधन हो चुका था ! बेटी के अंतिम संस्कार पूरे कर, वे अवधि पूरी होने से पूर्व ही स्वयं कारावास लौट आये !  एक वर्ष पश्चात् उन्होंने एक सप्ताह के लिए घर जाने की अनुमति मांगी, जब उनके पुत्र को श्‍लैष्मिक ज्‍वर हो गया था ! अनुमति भी मिल गयी, किन्तु पुत्र एक सप्ताह मैं निरोगी नहीं हो पाया तो अपने परिवार के अनुग्रहों, के बाद भी अपने वचन के अनुसार वे कारावास लौट आये
8 अगस्त 1942, महात्मा गाँधी ने मुंबई के गोवलिया टेंक में अंग्रेजों भारत छोडो की मांग पर भाषण दिया ! शास्त्री जी जेल से छूट कर सीधे पहुंचे जवाहरलाल नेहरु के गृहप्रदेश इल्लहाबाद और आनंद भवन से एक सप्ताह स्वतंत्रता सैनानियों को निर्देश देते रहे ! कुछ दिन बाद वे फिर बंदी बनाकर कारवास भेज दिए गए और वहां रहे 1946 तक, शास्त्री जी कुल मिला कर 9 वर्ष जेल में रहे  जहाँ वे पुस्तकें पड़ते रहे और इस प्रकार पाश्चात्य पश्चिमी दार्शनिकों, क्रांतिकारियों और समाज सुधारकॉ की कार्य प्रणाली से अवगत होते रहे ! तथा 'मैरी कूरी' की आत्मकथा का हिंदी अनुवाद भी किया। 
स्वतंत्रता के पश्चात् 
भारत आजाद होने पर, शास्त्री जी अपने गृह प्रदेश उत्तर प्रदेश के संसदीय सचिव नियुक्त किये गए! गोविन्द  बल्लभ पन्त के मंत्री मंडल के पुलिस व यातायात मंत्री बनकर, पहली बार महिला कन्डक्टर की नियुक्ति की ! पुलिस को भीड़ नियंत्रण हेतु उन पर लाठी नहीं, पानी की बौछार का उपयोग के आदेश दिए
1951 में राज्य सभा सदस्य बने तथा कांग्रेस महासचिव के नाते चुनावी बागडोर संभाली, तो 1952, 1957 व 1962 में प्रत्याशी चयन, प्रचार द्वारा जवाहरलाल  नेहरु को संसदीय चुनावों में भारी बहुमत प्राप्त हुआ! केंद्र में 1951 से 1956 तक रेलवे व यातायात मंत्री रहे, 1956 में महबूबनगर की रेल दुर्घटना में 112 लोगों की मृत्यु के पश्चात् भेजे शास्त्रीजी के त्यागपत्र को नेहरुजी ने स्वीकार नहीं किया किन्तु 3 माह पश्चात् तमिलनाडू  के अरियालुर दुर्घटना (मृतक 114) का नैतिक व संवैधानिक दायित्व मान कर दिए त्यागपत्र को स्वीकारते नेहरूजी ने कहा, शास्त्री जी इस दुर्घटना के लिए दोषी नहीं हैं, किन्तु इससे संवैधानिक आदर्श स्थापित करने का आग्रह है! शास्त्री जी के अभूतपूर्व निर्णय की देश की जनता ने भूरी भूरी प्रशंसा की ! 
1957 में, शास्त्री जी संसदीय चुनाव के पश्चात् फिर मंत्रिमंडल में लिए गए, पहले यातायात व संचार मंत्री, बाद में वाणिज्य व उद्योग मंत्री तथा 1961 में गृह मंत्री बने तब क. संथानम की अध्यक्षता में भ्रष्टाचार निवारण कमिटी गठित करने में भी विशेष भूमिका रही ! 
प्रधान मंत्री 
लाल बहादुर शास्त्री  जी  का नेतृत्व 
27 मई 1964 जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु से उत्पन्न रिक्तता को 9 जून को भरा गया जब कांग्रेस अध्यक्षक. कामराज ने प्रधान मंत्री पद के लिए एक मृदु भाषी, सौम्य व्यवहार, नेहरूवादी शास्त्री जी को उपयुक्त पाया तथा इस प्रकार पारंपरिक दक्षिणपंथी मोरारजी देसाई का विकल्प स्वीकार हुआ ! प्रधान मंत्री के रूप में राष्ट्र के नाम प्रथम सन्देश में शास्त्री जी ने कहा-
हर राष्ट्र के जीवन में एक समय ऐसा आता है, जब वह इतिहास के चौराहे पर खड़ा होता है और उसे अपनी दिशा निर्धारित करनी होती है ! किन्तु हमें इसमें कोई कठिनाई या संकोच की आवश्यकता नहीं है! कोई इधर उधर देखना नहीं, हमारा मार्ग सीधा व स्पष्ट है! देश में सामाजिक लोकतंत्र के निर्माण से सबको स्वतंत्रता व वैभवशाली बनाते हुए, विश्व शांति तथा सभी देशों के साथ मित्रता! शास्त्री जी, विभिन्न विचारों में सामंजस्य निपुणता के बाद भी, अल्प अवधि के कारण देश के अर्थ संकट व खाद्य संकट का प्रभावी हल न कर पा रहे थे! परन्तु जनता में उनकी लोकप्रियता व सम्मान अत्यधिक था जिससे उन्होंने देश में हरित क्रांति लाकर खाली गोदामों को भरे भंडार में बदल दिया! किन्तु यह देखने के लिए वो जीवित न रहे, पाकिस्तान से 22 दिवसीय युद्ध में, लाल बहादुर शास्त्री जी ने नारा दिया "जय जवान जय किसान" देश के किसान को सैनिक समान बना कर देश की सुरक्षा के साथ अधिक अन्न उत्पादन पर बल दिया! हरित क्रांति व सफेद (दुग्ध) क्रांति के सूत्र धार शास्त्री जी अक्तू.1964 में कैरा जिले में गए। उससे प्रभावित होकर उन्होंने आनंद का देरी अनुभव से सरे देश को सीख दी तथा उनके प्रधानमंत्रित्व काल 1965 में नेशनल देरी डेवेलोपमेंट बोर्ड गठन हुआ! समाजवादी होते हुए भी उन्होंने अपनी अर्थव्यवस्था को किसी का पिछलग्गू नहीं बनाया अपने कार्य काल 1965 में उन्होंने भ्रमण किया रूसयुगोस्लावियाइंग्लैंडकनाडा व बर्मापाकिस्तान से युद्ध 
भारत पाकिस्तानी युद्ध 1965
पाकिस्तान ने आधे कच्छ, पर अपना अधिकार जताते अपनी सेनाएं अगस्त 1965 में भेज दी, जो लोक सभा में, झड़पों में प्रतिपादित हुआ 'भारतीय टेंक की कच्छ की मुठभेढ़ पर शास्त्री जी का वक्तव्य' “अपने सीमित संसाधनों के उपयोग में हमने सदा आर्थिक विकास योजना तथा परियोजनाओं को प्रमुखता दी है, अत: किसी भी चीज को सही परिपेक्ष्य में देखने वाला कोई भी समझ सकता है कि भारत की रूचि सीमा पर अशांति अथवा संघर्ष का वातावरण बनाने में नहीं हो सकती !... इन परिस्थितियों में सरकार का दायित्व बिलकुल स्पष्ट है और इसका निर्वहन पूर्णत: प्रभावी ढंग से किया जायेगा ...यदि आवश्यकता पड़ी तो हम गरीबी में रह लेंगे, किन्तु देश कि स्वतंत्रता पर आँच नहीं आने देंगे!”पाकिस्तान की आक्रामकता का केंद्र है कश्मीर। जब सशस्त्र घुसपैठिये पाकिस्तान से जम्मू एवं कश्मीर राज्य में घुसने आरंभ हुए, शास्त्री जी ने पाकिस्तान को यह स्पष्ट कर दिया, कि ईंट का जवाब पत्थर से दिया जायेगा। अभी सित. 1965 में ही पाक सैनिकों सहित सशस्त्र घुसपैठियों ने सीमा पार करते समय सब अपने अनुकूल समझा होगा, किन्तु ऐसा था नहीं और भारत ने भी युद्ध विराम रेखा (अब नियंत्रण रेखा) के पार अपनी सेना भेज दी है तथा युद्ध होने पर पाकिस्तान को लाहौर के पास अंतर राष्ट्रीय सीमा पर करने कि चेतावनी भी दे दी है! टेंक महा संग्राम हुआ, पंजाब में और जब पाकिस्तानी सेनाओं को कहीं लाभ हुआ, भारतीय सेना ने भी कश्मीर का हाजी पीर का महत्त्व पूर्ण स्थान अधिकार में ले लिया है, तथा पाकिस्तानी शहर लाहौर पर सीधे प्रहार करते रहे! 17 सित.1965, भारत पाक युद्ध के चलते भारत को एक पत्र चीन से मिला। पत्र में, चीन ने भारतीय सेना पर उनकी सीमा में सैन्य उपकरण लगाने का आरोप लगाते, युद्ध की धमकी दी अथवा उसे हटाने को कहा, जिस पर शास्त्री जी ने घोषणा की "चीन का आरोप मिथ्या है! यदि वह हम पर आक्रमण करेगा तो हम अपनी अपनी संप्रभुता की रक्षा करने में सक्षम हैं" चीन ने इसका कोई उत्तर नहीं दिया, किन्तु भारत पाक युद्ध में दोनों ने बहुत कुछ खोया है! भारत पाक युद्ध समाप्त 23 सित. 1965 को संयुक्त राष्ट्र-की युद्ध विराम घोषणा से हुआ। इस अवसर पर प्र.मं.शास्त्री जी ने कहा“ दो देशों की सेनाओं के बीच संघर्ष तो समाप्त हो गया है। संयुक्त राष्ट्र- तथा सभी शांति चाहने वालों के लिए अधिक महत्वपूर्ण है एक गहरे संघर्ष को समाप्त करने के प्रयास करना है... यह कैसे प्राप्त किया जा सकता है ? हमारे विचार से, इसका एक ही हल है, शांतिपूर्ण सह अस्तित्व! भारत इसी सिद्धांत पर खड़ा है; पूरे विश्व का नेतृत्व करता रहा है! उनकी आर्थिक व राजनैतिक विविधता तथा मतभेद कितने भी गंभीर हों, देशों में शांतिपूर्ण सहस्तित्व संभव है !” ताश कन्द का काण्ड युद्ध विराम के बाद, शास्त्री जी तथा  पाकिस्तानी राष्ट्रपति मुहम्मद अयूब खान वार्ता के लिए ताशकन्द (अखंडित रूस, वर्तमान उज्बेकिस्तान) अलेक्सेई कोस्य्गिन के बुलावे पर 10 जन.1966 को गए। ताश कन्द समझौते पर हस्ताक्षर किये! शास्त्री जी को संदेह जनक परिस्थितियों में मृतक बताते, अगले दिन/रात्रि के 1:32 बजे हृदयाघात घोषित किया गया ! यह किसी सरकार के प्रमुख की सरकारी यात्रा पर विदेश में मृत्यु की अनहोनी घटना है। 
शास्त्री जी की मृत्यु का रहस्य ?शास्त्री जी की रहस्यमय मृत्यु पर उनकी विधवा पत्नी ललिता शास्त्री कहती रही, कि उनके पति को विष दिया गया है। कुछ उनके शव का नीला रंग, इसका प्रमाण बताते हैं। शास्त्री जी को विष देने के आरोपी रुसके रसोइये को बंदी भी बनाया गया, किन्तु वो प्रमाण के अभाव में बच गया। 2009 में, जब अनुज धर, लेखक (CIA's Eye on South Asia,) 'RTI' में  (Right to Information Act) प्रधान मंत्री कार्यालय से कहा, कि शास्त्री जी की मृत्यु का कारण सार्वजानिक किया जाये, विदेशों से सम्बन्ध बिगड़ने की बात कह कर टाल दिया गया। देश में असंतोष फैलने व संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन भी बताया गया। प्रमंका ने इतना तो स्वीकार किया, कि शास्त्री जी की मृत्यु से सम्बंधित एक पत्र कार्यालय के पास है! सरकार ने यह भी स्वीकार किया, कि शव की रूस 'USSR' में 'post-mortem examination' जाँच नहीं की गई, किन्तु शास्त्री जी के वैयक्तिगत चिकित्सक डा. र.न.चुघ ने जाँच कर रपट दी थी! किस प्रकार हर सच को छुपाने का आरोप लगता है और सच का झूठ/झूठ का सच यहाँ सामान्य प्रक्रिया है, कुछ भी हो सकता है।स्मृतिचिन्ह आजीवन सदाशयता व विनम्रता के प्रतीक माने गए, शास्त्री जी एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया, व दिल्ली के "विजय घाट" उनका स्मृति चिन्ह बनाया गया ! वे न तो नेहरू खानदान से थे न किसी वोट बेंक समुदाय से फिर भी अनेकों शिक्षण सस्थान, शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक संसथान 'National Academy of Administration' (Mussorie) तथा शास्त्री इंडो -कनाडियन इंस्टिट्यूट आदि उनको समर्पित हैं। 
"यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आजभी इसमें वह गुण, 
योग्यता व क्षमता विद्यमान है! आओ मिलकर इसे बनायें- तिलक
इतिहास को सही दृष्टी से परखें। गौरव जगाएं, भूलें सुधारें।
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शनिवार, 4 जनवरी 2014

मीडिया सेंटर में प्रधानमंत्री का सम्मेलन

आर्थिक स्थिति शीघ्र ही सुधरेगी :मनमोहन
प्रधामनंत्री ने अर्थव्यवस्था सुधरने की आशा में अपने सरकार की थपथपाई पीठ,
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आज दिल्ली के मीडिया सेंटर में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में अपने ढंग से संप्रग-2 सरकार की असफलताओं को स्वीकारा, कि सरकार में विकास दर घट गयी, आर्थिक असमानता बढ़ गयी और रोजगार के अवसरों में कमी आई। फिर उन भी असफलताओं को ढकने व अर्थव्यवस्था सुधरने की झूठी आशा में अपनी सरकार की पीठ थपथपाई। 
जो मीडिया इनके करोड़ों के विज्ञापन पर आश्रित है, उन्ही के भ्रमजाल के बल पर झूठा प्रचार किस प्रकार किया जाता है यह इस संवाददाता सम्मलेन से स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है।
अधिक जानकारी हेतु यहाँ बटन दबाएँ 
मीडिया सेंटर में प्रधानमंत्री का सम्मेलन

शनिवार, 4 जनवरी 2014

धोखेबाज नेता और बिकाऊ नकारात्मक मीडिया के गठजोड़ का तोड़, नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे, तब पाएं -
नकारात्मक बिकाऊ मीडिया का सकारात्मक राष्ट्रवादी व्यापक सार्थक विकल्प का संकल्प
-युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक 9911111611, 7531949051

यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण, योग्यता
व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
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शुक्रवार, 20 दिसंबर 2013

सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम कानून /प्रोत्साहन कानून

सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम कानून /प्रोत्साहन कानून
वन्देमातरम, सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम कानून पर हमारा मत क्या हो, इससे पूर्व यह समझना आवश्यक है, कि इसमे है क्या ? किन्तु एक प्रश्न सबसे अधिक सता रहा था।
भारत के विरुद्ध चल रहे इतने बड़े षड्यंत्र के बारे में इस समाज को कैसे बताया और समझाया जाए। देश का मीडिया इस कानून के सांप्रदायिक पक्ष को नही दिखा रहा है, केवल राजनीतिक प्रतिक्रिया दिखा रहा है।क्योंकि सांप्रदायिक मुद्दे पर सत्य कथन को सांप्रदायिक मान मीडिया बच रहा है।
किन्तु, यह बिल विश्वगुरू भारत के अस्तित्व को ही मिटाने का कुत्सित कुचक्र है, पास हुआ तो प्रलय सुनिश्चित है। अस्तित्व रक्षा का नियम है, अंतिम क्षण में सारी ताकत लगानी चाहिए। किन्तु, हम सब पहले यह तो समझे, कि ये बिल देश के लिए अंतिम सर्वनाश का बिल है। यह बिल आने का अर्थ प्रलय है। देश की जनता को बस इतना ही समझाया जा रहा है, कि एक ऐसा बिल आ रहा है, जिसमे सत्ता और विपक्ष में सहमति नही, कुछ असहमती हैं।
किन्तु बात केवल इतनी नही है, बात सहमति की असहमती नही, अस्तित्व की है। ऐसे धर्म व संस्कृति की जिसने विश्व के कोने कोने में अत्याचारों से पीड़ितों को आश्रय दिया। आज के मुस्लिम अल्पसंख्यंक वही हैं, जिन्हे पाकिस्तान की माँग पूरी होने पर, पाकिस्तान के नर्क में जाने से नकारने को, बहुसंख्यंक हिन्दुओ ने विरोध नहीं किया।
सत्ता के वोट बैंक हेतु लम्बे समय से चल रहे, उन हिन्दुओं को साम्प्रदायिक ठहराए जाने के कुचक्र जानकर, तो इसे गहराई से समझना और भी आवश्यक हो जाता है। काले अंग्रेजों के इस साइमन कमीशन पर जब देश का नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे, तब पायें 
नकारात्मक बिकाऊ मीडिया का सकारात्मक राष्ट्रवादी विकल्प युगदर्पण मीडिया समूह YDMS.
यदि आप भी मुझसे जुड़ना चाहते हैं, तो आपका हार्दिक स्वागत है, संपर्क करें औऱ अपने सम्पर्क सूत्र सहित बताएं कि आप किस प्रकार व किस स्तर पर कार्य करना चाहते हैं, तथा कितना समय देना चाहते हैं ? आपका 
आभार अग्रेषित है। 
2001 से युगदर्पण समचारपत्र द्वारा सार्थक पत्रकारिता और 2010 से हिंदी ब्लॉग जगत में विविध विषयों के 28 ब्लॉग के माध्यम व्यापक अभियान चला कर 3 वर्ष में 60 देशों में पहचान बनाई है। तथा काव्य और लेखन से पत्रकारिता में अपने सशक्त लेखन का विशेष स्थान बनाने वाले तिलक राज के 10 हजार पाठकों में लगभग 2000 अकेले अमरीका में हैं।  -तिलक, संपादक युगदर्पण मीडिया समूह  09911111611, 07531949051 
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गुरुवार, 28 नवंबर 2013

यौन उत्पीड़न के आरोपी तेजपाल को बचा रहे कपिल सिब्बल, से सम्बन्ध?

यौन उत्पीड़न के आरोपी तेजपाल को बचा रहे कपिल सिब्बल, से सम्बन्ध?

बुधवार, 27 नवम्बर 2013

युदस नई दिल्ली:  साथी महिला पत्रकार के यौन उत्पीड़न के आरोपी तहलका के संपादक तरुण तेजपाल पर पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। .....कृ. आगे पढ़ने हेतु यहाँ शीर्षक पर बटन दबाएँ।  -तिलक 

कृ. इसे भी पढ़ें...

ऐसा कैसे होता है ?

बृहस्पतिवार, 21 नवम्बर 2013


ऐसा कैसे होता है ? এটা কেমন? તે કેવી રીતે છે? तो कसा आहे? ਐਵੇਂ ਕਿਦ੍ਦਾ ਹੋਂਦਾ ਏ ? 
ಇದು ಹೇಗೆ?   இது எப்படி இருக்கிறது?    అది ఎలా?   How is it? 
कम्पू जी,
Current Qजब देश को बेशर्मी से लूटा जाता है, नेता को न न्याय का भय, 
न 5 वर्षीय लोकतन्त्री कुम्भ में जनता का होता है। बल्कि सत्ता में बने रहने का विश्वास होता है। .....To Read full, all laguages
भारत वर्षस्य के मित्र बनें, Join Positive media/ Like Pages of YDMS-
"अंधेरों के जंगल में, दिया मैंने जलाया है |
इक दिया, तुम भी जलादो; अँधेरे मिट ही जायेंगे ||"- तिलक
घर 4 दीवारी से नहीं 4 जनों से बनता है, परिवार उनके प्रेम और
तालमेल से बनता है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है| -युगदर्पण
जो शर्मनिरपेक्ष, अपने दोहरे चरित्र व कृत्य से- देश धर्म संस्कृति के शत्रु;
राष्ट्रद्रोह व अपराध का संवर्धन, पोषण करते। उनसे ये देश बचाना होगा। तिलक
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गुरुवार, 21 नवंबर 2013

ऐसा कैसे होता है ?

ऐसा कैसे होता है ?

बृहस्पतिवार, 21 नवम्बर 2013


ऐसा कैसे होता है ? এটা কেমন? તે કેવી રીતે છે? तो कसा आहे? ਐਵੇਂ ਕਿਦ੍ਦਾ ਹੋਂਦਾ ਏ ? 
ಇದು ಹೇಗೆ?   இது எப்படி இருக்கிறது?    అది ఎలా?   How is it? 
कम्पू जी,
Current Qजब देश को बेशर्मी से लूटा जाता है, नेता को न न्याय का भय, 
न 5 वर्षीय लोकतन्त्री कुम्भ में जनता का होता है। बल्कि सत्ता में बने रहने का विश्वास होता है। .....Read full, all laguages
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बुधवार, 30 अक्तूबर 2013

मासिक हलचल अक्टूबर।

मासिक हलचल अक्टूबर। Wednesday, October 30, 2013

पर्व, विशुद्ध चुनावी राजनीति की दिशा व चेहरे, बचकाना बयान

नरेंद्र मोदी की दिल्‍ली रैली में हुंकार

मोदी ने अपने डेढ़ घंटे के भाषण में क्‍या कहा, उसके मुख्‍य बिंदु हम आपके लिये लेकर आये हैं।.......

2008 में स्वामी लक्ष्मणानंद की हत्या के लिए दोषी 7 ईसाई WEDNESDAY, OCTOBER 2, 2013 

5 वर्ष पूर्व स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती जी की हत्या का कुचक्र, हिन्दुओं के विरुद्ध वातावरण का कुचक्र, ईसाइयों को विदेशी मिशनरियों द्वारा धर्मान्तरण व कुचक्र रचने में भरपूर सहयोग की निष्पक्ष न्यायिक जाँच होनी चाहिए। साथ ही धर्म निरपेक्षता के नाम पर राष्ट्र द्रोहियों का समर्थन करने वाले शर्म निरपेक्ष चेहरे सामने आने चाहिए,  उनकी भी जाँच होनी चाहिए।...

शारदीय नवरात्रि 2013

Saturday, October 5, 2013

अखिल विश्व में फैले हिन्दू समाज सहित सभी देश वासियों को सपरिवार शारदीय नवरात्रों की हार्दिक बधाई व शुभकामनायें - युग दर्पण परिवार YDMS 
 शारदीय नवरात्रि सभी नवरात्रों में सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण नवरात्रि है। .....

कम्पू जी, आधुनिक कार्टून

शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013

प्रज्ञावान राष्ट्रभक्तो, अष्टमी के शुभावसर पर आपका अभिनन्दन करने के साथ, आइये इस विशिष्ट कार्टून कम्पू जी, का शुभारंभ करते हैं। .....

कम्पू जी, आधुनिक कार्टून 1

   शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013 

Current Q: Why Seculars can not Tolerate Nationalism.......

कम्पू जी, 2 चक्रवात क्यों ?

Sunday, October 13, 2013 सोनिया गाँधी देश को बताएं, जब राम का अस्तित्व स्वीकार नहीं, श्रद्धा नहीं, धार्मिक मंच पर क्या करने गई, विशुद्ध चुनावी राजनीती ?

रावण का दर्द! कम्पू जी, 3 monday, october 14, 2013 दहन के समय रावण की आँखों में आंसू थे और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, व सोनिया गांधी मुस्कुरा रहे थे ? ?।.....

ध्यान से देखो, इन चेहरों को!!

शनिवार, 19 अक्तूबर 2013 रामलीला के मंच पर, हाथ में धनुष लिए इन चेहरों को! जूठे प्रचार के लिए फोटो में रावण पर तीर चलाने वालेजीवन के मंच से सर्वोच्च न्यायलय तक राम पर तीर, कैसे चलाते हैं ?........

एक बचकाना बयान की भावना SATURDAY, OCTOBER 26, 2013 मुज्जफरनगर दंगे पर राहुल के ISI वाले गैर-जिम्मेदाराना और बचकाना बयान के बचाव में आए, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह। ....

सत्य का तथ्य (2013) TUESDAY, OCTOBER 29, 2013 (एक वार्षिक परिक्रमा).....


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